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धान खरीदी

हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा में बाजरे की सरकार द्वारा खरीद शुरू हो गई है। हैफेड (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड) द्वारा सर्व प्रथम रेवाड़ी, कनीना, चरखी दादरी, भिवानी और कोसली की मंडियों में बाजरे की खरीद की जाएगी। वहीं, धान की सरकारी खरीद के लिए किसानों को थोड़ा इंतजार करना होगा। माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर तक धान की खरीद की जा सकती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से दिए गए निर्देश के उपरांत बाजरे की सरकारी खरीद चालू हो गई है। परंतु, किसानों को अब भी धान की सरकारी खरीद की प्रतीक्षा है। ऐसा माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर से धान की खरीद चालू हो सकती है। आपको बतादें, कि बाजरे की खरीद का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल की खरीद का पैसा 72 घंटे में सीधा किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। साथ ही, बेहतर और औसत क्वालिटी (FAQ) वाले बाजरे की खरीद प्रचलित बाजार दर पर होगी। साथ ही, यह खरीद उन किसानों से की जाएगी, जो मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड और वेरीफाइड हैं।

भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत भुगतान किया जाएगा

किसानों को प्रचलित मंडी दर एवं एमएसपी (MSP) के अंतर का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल खरीद की धनराशि सीधे किसानों के बैंक एकांउट में भेजा जाएगा।

धान खरीदी एक अक्टूबर से शुरू हो सकती है

बाजरा के एमएसपी 2,500 रुपये की अपेक्षा 1,900 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। निजी व्यापारियों द्वारा बासमती चावल की 1509 किस्म की दर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद अब तक स्थिर बनी हुई है। परमल किस्म के धान की सरकारी खरीद अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू होने की संभावना है।

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जनपद की मंडियों में खरीद नहीं हो पा रही है

बाजार समिति के अधिकारी का कहना है, कि बाजारा और धान की खरीद का ऐलान 25 सिंतबर से शुरू होने के निर्देश दिए गए हैं। परंतु, सरकारी एजेसियों द्वारा अभी तक विभिन्न जिलों की मंडियों में प्रक्रिया तक चालू नहीं हुई है। बाजरे की खरीद 2,200 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्धारित की गई है। परंतु, निजी व्यापारियों द्वारा बाजरे की खरीद 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है।

किसान को 300 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है

कमीशन एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी गौरव तेवतिया ने खरीफ फसल की खरीद में हो रहे विलंभ पर अधिकारियों को दोषी ठहराया है। उनका कहना है, कि बाजरे की खरीदी के लिए किसी आधिकारिक एजेंसी का चयन नहीं किया गया है। इससे किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये की हानि हो रही है। साथ ही, अब किसानों को भी विश्वास नहीं है, कि भावांतर भरपाई योजना के जरिए से हो रही हानि की भरपाई की जाएगी अथवा नहीं।

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बाजरा इस कारण से कम कीमत पर बिकेगा

फसल बिक्री के लिए जो सरकारी पोर्टल में रजिस्ट्रेशन प्रणाली 888999 है उसमें गड़बड़ी है। वहीं, अब तक केवल 35 फीसद ही धान उत्पादक किसान पंजीकृत हो पाए हैं। इससे यह संभावना है, कि ज्यादातर लोग बाजरा एवं धान एमएसपी से नीचे कम भाव में बेचेंगे। मंडियों में तकरीबन 2,200 क्विंटल बाजरा, 5,400 गांठ कपास और 20,000 क्विंटल से ज्यादा बासमती धान की आवक हुई है।
धान की उन्नत किस्में अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान हो रहे मजबूत

धान की उन्नत किस्में अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान हो रहे मजबूत

रायपुर। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान फसल के लिए अनुकूल वातावरण होने के कारण किसान साल में दो बार धान की फसल लगाते हैं, जो सदियों से उनकी आय का एक बहुत बड़ा साधन बना हुआ। वहीं नई तकनीकों के उपयोग ने भी धान फसल की पैदावार बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। यदि बात करें अच्छी किस्मों की तो यहां जवा फूल, दुबराज, विष्णु भोग, लुचई, देव भोग, कालीमूज, बासमती के अलावा कुछ ऐसी किस्में हैं, जिनसे किसान ज्यादा आय अर्जित कर रहे हैं। वहीं रायपुर में स्थित इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय ने धान की नई-कई किस्मों की खोज की है, जिसको अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान समृद्धि की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ भी किसान बखूबी उठा रहे हैं और अपने सपनों को पंख लगा रहे हैं।

रोज सामने आ रही आत्मनिर्भरता की कहानी

कभी नक्सली और पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ आज खेती-किसानी के मामले में देश में सिरमौर बना हुआ है। यहां के किसान इतने आत्मनिर्भर हो चुके हैं कि उन्हें अब अपने भविष्य की चिंता कम ही सताती है। वहीं सरकार की ऋण माफी और बोनस जैसी योजनाओं के कारण भी यहां के किसान खेती की ओर और आकर्षित हुए हैं, जिनके आत्मनिर्भर बनने की कहानी अक्सर सामने आती रहती है। कई किसान तो ऐसे थे जिनकी हालत काफी खराब थी, पर धान की उन्नत किस्म अपनाकर उन्होंने न केवल अपना जीवन सुधारा, बल्कि एक प्रकार से राज्य में खेती किसानी का प्रचार-प्रसार कर जो लोग खेती किसानी छोड़ने का मन बना चुके थे, उन्हें फिर से खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।


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नर-नारी धान अपनाकर समृद्ध बन रहे किसान

वहीं छत्तीसगढ़ में एक ऐसी धान की किस्म भी है जिसको अपनाकर किसान अधिक मुनाफा कमा रह हैं। इस किस्म का नाम नर-नारी धान है। धान की इस किस्म को अपनाकर किसान एक एकड़ में एक लाख रुपए तक का फायदा ले रहे हैं। शायद आप में से कईयों ने धान की इस किस्म के बारे में न सुना हो, लेकिन यह काफी मुनाफे की फसल है। इसमें नर व मादा पौधों को खेत में ही क्रास यानी पूरक परागण कराया जाता है। इस दौरान नर पौधों का पराग मादा पौधे में जाता है, जिससे बीज बनता है और इसी से धान के पौधे तैयार किये जाते हैं। धान की इस किस्म की खासियत ये हैं, कि इसकी एक एकड़ खेती में 10 से 15 क्विंटल की पैदावार होती है। धान के इस बीज की मांग मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ज्यादा है। छत्तीसगढ़ के किसान भाई इस किस्म को लगाकर तगड़ा मुनाफा ले रहे हैं।

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी बढ़ी मांग

नर-नारी धान की खासियत है कि यदि आप एक एकड़ में इस धान की बुवाई करते हैं, तो एक एकड़ में 15 क्विंटल धान होता है. प्रति क्विंटल धान की कीमत लगभग 9 हजार रुपए है. यानी एक एकड़ के खेत में आपको 1.35 लाख रुपए मिल जाते हैं. छत्तीसगढ़ के धमतरी, बालोद व दुर्ग जिले में किसान इस किस्म का धान उगा रहे हैं। धमतरी में 5 हजार एकड़ से ज्यादा में इस तरह की धान की खेती की जा रही है। रायपुर में धीरे-धीरे इसका रकबा बढ़ने लगा है। नर-नारी धान का परागण करने के लिए रस्सी या बांस का सहारा लिया जाता है। दो कतार में नर व 6-8 कतारों में मादा पौधे होते हैं। इन्हें सीड पैरेंट्स भी कहा जाता है। इसकी रोपाई का तरीका दूसरी किस्मों से बिल्कुल अलग है। इसके पौधे को रोपाई से तैयार किया जाता है। बोनी या लाईचोपी पद्धति से इस धान का उत्पादन संभव नहीं है। पादप प्रजननन विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के एचओडी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि नर-मादा धान की किस्म से किसानों को अच्छा फायदा हो रहा है। इसका रकबा बढ़ रहा है। ये हाइब्रिड धान है जिसका बीज बनता है।


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छत्तीसगढ़ में साल दर साल धान खरीदी का नया रिकॉर्ड बन रहा

छत्तीसगढ़ में साल दर साल धान खरीदी का नया रिकॉर्ड बन रहा है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के किसानों ने वर्ष 2021-21 में किसानों ने सरकार को धान बेचकर करीब 20 हजार करोड़ रुपये कमाए हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार का दावा भी है कि अब खेती-किसानी छत्तीसगढ़ में लाभकारी व्यवसाय बन गया है। आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई है। इस साल 21.77 लाख किसानों से करीब 98 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। इसके एवज में किसानों को करीब 20 हजार करोड़ रुपयों का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किए जाने का दावा किया गया है।

सुगंधित धान की वैज्ञानिकों ने सहेजी किस्में

वहीं दूसरी ओर छग में जिस धान की मांग ज्यादा बढ़ रही है और सरकार जिस धान को ज्यादा महत्व दे रही है वैसे-वैसे यहां से कुछ धान की किस्में विलुप्त होती जा रही हैं और कुछ तो विलुप्ति की कगार पर भी पहुंच गई थी ऐसे में इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने किसानों के साथ मिलकर इन्हें सहेजा। कृषि विज्ञान केंद्रों ने भी इस काम में पूरी मदद की। महज 10-15 साल पहले तक जवा फूल, दुबराज, विष्णु भोग, लुचई जैसी सुगंधित धान की किस्में राज्य की पहचान थी। हालांकि किसानों को इनकी पैदावार से लाभ नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे स्वर्णा, एमटीयू 1010 जैसी किस्मों को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदने लगी। ऐसे सुगंधित धान की कई वैरायटी विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई। कई गांवों से तो ये गायब ही हो गई। कुछ किसान अपने उपयोग के लिए सीमित क्षेत्र में उगा रहे थे, लेकिन उनकी संख्या व एरिया सीमित था। इसे गंभीरता से लेते हुए चार साल पहले इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रायपुर ने इन्हें सहेजने का बीड़ा उठाया और इन किस्मों को सहेजने में कड़ी भूमिका निभाई। कृषि वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में जाकर न सिर्फ इन किस्मों को ढूंढा बल्कि उन्हें सहेजने में भी बड़ी भूमिका निभाई।

कृषि के क्षेत्र में छग को मिले कई पुरस्कार

धान की अलग-अलग प्रकार के पैदावार के लिए जाने जाने वाले छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। छत्तीसगढ़ को उन्नत कृषि प्रबंधन और किसानों के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई वर्गो में सम्मानित किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ को कई राष्ट्रीय अवार्ड भी अब तक मिल चुके हैं, जिससे विश्व पटल पर छत्तीसगढ़ एक सितारे के रूप में चमक और दमक रहा है।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

इस बार छत्तीसगढ़ प्रदेश के पंजीकृत किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही ट्वीट में बताया गया है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह अच्छी खुशखबरी है, क्योंकि राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद करने की घोषणा की है। मुख्य बात यह है कि १ नवंबर से धान की खरीद प्रारंभ होगी, इसके साथ ही प्रदेश सरकार किसानों से एमएसपी पर मक्का की खरीद भी करेगी। वहीं, किसानों ने एमएसपी पर धान बेचने के लिए पंजीयन करवाना आरम्भ कर दिया है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख ३१ अक्टूबर है, जबकि राज्य में १७ अक्टूबर से ही उड़द, अरहर एवं मूँग समेत कई दलहनी फसलों की खरीद एमएसपी पर प्रारम्भ हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्वीट कर कहा है कि राज्योत्सव के चलते ही एक नवम्बर से धान खरीद प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी। इस बार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से ११० लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही, ट्वीट में कहा है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन संपन्न भी हो चुका है। साथ ही, जो किसान अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए हैं, वह धान को बेचने के लिये एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लें। मुख्यतय बात यह है कि खरीफ वर्ष २०२१-२२ में धान को एमएसपी पर बेचने वाले पंजीकृत किसानों को पुनः पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होगी।

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छत्तीसगढ़ सरकार इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी मक्का की फसल

छत्तीसगढ़ राज्य में १ नवंबर से धान के साथ-साथ मक्के को भी एमएसपी पर खरीदे जाने की घोषणा की गयी है। मक्का को एमएसपी पर बेचने वाले किसान भी एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर समस्त जरुरी कागजातों के साथ आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा किसानों को आवेदन एवं पंजीयन समेत और भी जानकारियां के लिए एकीकृत किसान पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसको किसानों के खेत व फसल बुवाई के रकबे का सत्यापन हेतु भुइयाँ पोर्टल (bhuiyan portal) से भी जोड़ा जायेगा। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन द्वारा शुक्रवार को धान खरीदी समेत कल्याणकारी व महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गयी। इस दौरान उन्होंने कस्टम मिलिंग, समितियों से धान परिवहन की व्यवस्था सहित इस खरीफ सीजन में धान खरीदी के सन्दर्भ में अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं के सम्बंध में भी दिशा निर्देश जारी किए हैं।
इस राज्य ने लगभग हासिल किया अपना धान खरीदी का लक्ष्य

इस राज्य ने लगभग हासिल किया अपना धान खरीदी का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ राज्य ने धान खरीदी का लक्ष्य तकरीबन सापेक्ष कर लिया गया है। राज्य सरकार द्वारा कृषकों के खातों में धनराशि हस्तांतरित करदी है। अपैक्स बैंक किसानों के खाते में 22 हजार करोड़ रुपये की धनराशि भेजेगा। भारत के ज्यादातर राज्यों में धान खरीद पूर्ण कर ली गई है। परंतु, उत्तर प्रदेश, बिहार में धान खरीदी की रफ्तार काफी धीमी दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है, कि किसी भी स्तर से कृषकों को दिक्कत परेशानी न होने पाए। साथ ही, राज्य सरकार के स्तर से किसानों के खाते में एमएसपी (MSP) पर धान खरीदी की धनराशि भी उनके खातों में निर्धारित समय पर हस्तांतरित की जा रही है। किसानों को अपनी धनराशि पाने हेतु इधर से उधर न भटकना पड़े। किसानों के आधार लिंक्ड खातों में ही पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है।

अपैक्स के जरिए किसानों के खातों में 22 हजार करोड़ रुपये भेजे जाएंगे

छत्तीसगढ़ राज्य में 1 नवंबर से धान खरीदी आरंभ कर दी गई थी। 31 जनवरी तक धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 31 जनवरी निकल गई है। राज्य सरकार द्वारा तकरीबन धान खरीद पूर्ण हो गई है। साथ ही, किसानों के समक्ष चुनौती रहती है, कि धान खरीद के उपरांत में धन प्राप्त हो पा रहा है, कि नहीं हो रहा है। धान खरीद की धनराशि का भुगतान करने हेतु मार्क फेड द्वारा अपैक्स बैंक के लिए 22 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। जिन किसानों को धान खरीद की भुगतान धनराशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। इस धनराशि को उन्ही किसानों के खाते में हस्तांतरित किया जाएगा।
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धान खरीदी लगभग लक्ष्य के समीप पहुँच गई है

छत्तीसगढ़ सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 31 जनवरी तक 110 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया था। प्रदेश में 30 जनवरी तक धान खरीद का जो रिकॉर्ड देखने को मिला है। उसी आधार पर राज्य में धान खरीदी के विगत समस्त रिकॉर्ड को तोड़ कर प्रदेश में 30 जनवरी तक 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा चुकी है। आपको बतादें कि यह धान खरीदी प्रदेश के 23.39 लाख किसानों से की गई है।

धान का 96 लाख मीट्रिक टन उठान का डीओ जारी

प्रदेश सरकार धान खरीद लेती हैं। परंतु, खपत एवं उसके सुरक्षित भंडारण हेतु उसका उठान भी करना अति आवश्यक रहता है। इसी बीच कस्टम मिलिंग हेतु धान का उठान आरंभ किया जा चुका है। 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी में से तकरीबन 96 लाख मीट्रिक टन धान उठान हेतु डीओ जारी कर दिया गया है। इसके सापेक्ष मिलर्स द्वारा 89 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान का उठान कर लिया गया है। साथ ही, प्रदेश में इस वर्ष धान खरीदी हेतु 24.98 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। जिसके अंतर्गत 2.32 लाख नवीन कृषक भाई शम्मिलित रहे हैं। प्रदेश में सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया है।